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सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

स्वास्थ्य के लिए कृतज्ञता

 


(११) रोग नाशके लिये

*रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥*


 *(१२) महामारी - नाशके लिये जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥ (१३)*


 आरोग्य और सौभाग्यकी प्राप्तिके लिये


 *देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥*


– दुर्गा सपस्ती (गीता प्रेष)


*स्वास्थ्य के लिए कृतज्ञता*


*कृतज्ञता अभ्यास– 5*


*संसार के 75% लोग किसी ना किसी रोग से ग्रसित होते हैं ज्यादातर बुजुर्गों में पाया जाता है रोग नाम की चीज कुछ नहीं है वह सिर्फ आपके दिमाग नकारात्मक स्वभाव का है नतीजा रोगों का मूल कारण चिंता डर और मानसिक या शारीरिक विकृति है और मानसिक परेशानी के कारण होता है आप रोगी इसलिए हुए क्योंकि आपने अपने शरीर पर ध्यान नहीं दिया आपने अपने मन पर ध्यान नहीं दिया आपने खाने पीने की वस्तुओं पर ध्यान नहीं दिया चाहे जो भी हो... मैं सीधा सीधा कहुंगा आपके लापरवाही के कारण आप रोगी हुए आपने कभी अपने स्वास्थ्य के लिए ईश्वर को धन्यवाद तक नही कहा .. आपने कभी मुफ्त में दिए गए आंख कान नाक हाथ-पांव पेट शरीर के समस्त अंगों के लिए ईश्वर को कभी कृतज्ञता व्यक्त किया नहीं किया.. आप कहेंगे क्या स्वास्थ्य के लिए ईश्वर को कृतज्ञता करना आवश्यक है मैं सीधा सीधा आपके मुंह पर कहता हूं हां यह बहुत ही आवश्यक है और आपका कर्तव्य है क्योंकि आप उन लोगों को देखिए जिनके पास हाथ नहीं है जिनके पास हाथ है उनके पास पांव नहीं है जिनके पास आंख है पर देखने की शक्ति नहीं है जिसके पास कान है किंतु सुनने की क्षमता नहीं है जिसके पास शरीर है उसके पास दिमाग नहीं है वाकई यह लोग जिन चीजों की कमी महसूस कर रहे हैं उनके लिए आपके हाथ पांव मुंह कान आंख और एक स्वस्थ शरीर आदि बहुत ही महत्वपूर्ण है आप उन लोगों को देखिए जो लंगड़े लूले हैं जिनके पास हाथ नहीं है वह हाथ के महत्व को समझते हैं जिनके पास आंख नहीं है वह आंख के महत्व को समझते हैं जिनके शरीर में रक्त नहीं है रक्त के महत्व को समझते हैं जिनके पास समस्त शरीर ही नहीं है वह भटकी आत्मा इस शरीर के महत्व को समझते हैं मैं आपसे पूछता हूं ईश्वर ने आपको मुफ्त में हर चीज दिया क्या बदले में उसे आपने धन्यवाद तक किया ? आप किसी भी रोग से पीड़ित हैं चाहे कोई भी रोग हो चाहे कितना बड़ा ही रोग हो आप अपने विचार शक्ति से स्वयं को ठीक कर सकते हैं ये मजाक नही मैं सत्य कह रहा हूं। इसके लिए आपको सबसे पहले अपने दिमाग के विचारों को बदलना होगा अपने दिमाग से रोगी विचारो को निकालना होगा कि मैं इस वक्त बीमार हूं क्योंकि यही एक विचार से रोगी भावना उत्पन होती है और रोगी भावना से आप बुरा महसूस करते है जो आप को बीमार बना कर रखती है मैं आपको दवा लेने के लिए भी मना नहीं करूंगा यदि आपको दवा पर विश्वास है तो आप दवा खाएं स्थिति जब बहुत सीरियस हो तो दवा ले सकते हैं किंतु पहले अपने स्वास्थ्य के लिए ईश्वर को धन्यवाद दे ।*


 *महात्मा बुद्ध ने कहा था "यदि आप उन चीजों की कदर नहीं करते हैं जो आपके पास है तो आप कभी भी खुश नहीं रह सकते हैं "*


*इसी विचार को आपके स्वास्थ पर लागू करके देखते हैं*


*{यदि आप अपने वैसे स्वस्थ की कद्र नहीं करते जो आपके पास है तो आप कभी पूरी तरह से स्वस्थ नही हो सकते ।}*


*"जो व्यक्ति थोड़े में ही खुश रहता है सबसे अधिक खुशी उसी के पास होती है इसलिए आपके पास जितना है खुश रहें ।"*


–महात्मा बुद्ध 

*"अतीत पर ध्यान मत दो, भविष्य की चिंता मत करो, अपने मन को वर्तमान क्षण पर नियंत्रित करें”*


– महात्मा बुद्ध


*आपके पास जो कुछ है उसके लिए आपने ईश्वर को धन्यवाद नहीं किया तो स्वाभाविक है आप पा कर भी खुश नहीं रह सकते ।*


*स्वस्थ रहने के लिए आपको सुबह उठते ही योग करना होगा जिसे मैं यहां आपके आगे प्रस्तुत करना चाहूंगा.*


*ब्रह्म मुहूर्त में सो कर उठ जाएं यदि गर्म पानी पी सकते हैं उसका सेवन करें फिर नित्य क्रिया आदि कर ले रविवार के दिन को छोड़कर सभी दिन एक तुलसी का पत्ता खाली पेट सेवन करें । खुली हवा में बैठ जाए ।दोनों पांव को फंसा के पालथी मारकर बैठ जाएं दोनों हाथ के अंगुलियों को फंसा कर अपने पांव पर रख ले शरीर को ढीली छोड़ दें रीड को सीधी रखें आंख बंद कर ले फिर आप जो सांस ले रहे हैं विचार सुन्य होकर उस पर 5 मिनट ध्यान केंद्रित करें सिर्फ सांस पर ध्यान केंद्रित करें एक बार गहरी सांस लें फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़ें उसके बाद श्वास क्रिया को अपने शरीर पर छोड़ दें आपका शरीर प्राकृतिक रूप से जैसे सांस ले रहा है लेने दे इसे ना रोके ना ज्यादा तेजी से चलाएं 5 मिनट अपने सांस पर ध्यान केंद्रित करने के बाद जब आपके मस्तिष्क में दर्द सा महसूस होता है तब आपके मस्तिष्क के ऊपरी भाग ब्रह्मरंध्र के द्वारा एक दिव्य शक्ती आपके शरीर में प्रवाहित होने लगती है जिसके कारण शरीर के जितने भी नस नाडियो में गंदगी होते हैं वह नष्ट होते हैं वही नष्ट होने के वजह से ध्यान के दौरान शरीर में या मस्तिष्क में दर्द या खुजलाहट महसूस होती है फिर अपने दोनों पांव पर ध्यान दें और पांव के लिए परमात्मा को धन्यवाद दें आप इस प्रकार भी कृतज्ञता पूर्वक प्रेम पूर्वक बोल सकते हैं "हे मेरे परमपिता परमेश्वर श्री हरि विष्णु देवों के देव महादेव समस्त शरीर में निवास करने वाली माता आदिशक्ति आपने मुझे ये मनुष्य शरीर देकर धन्य किया हमारे दो पाव दिए क्योंकि इस पाओं के द्वारा कई दूर का सफर तय करता हूं इस पाओं के द्वारा ही कहीं चल कर जा पाता हूं "*


*अपने दोनों हाथों के लिए कहें " हे परम ब्रह्म परमात्मा श्री हरि विष्णु देवों के देव महादेव आपने मुझे दो हाथ प्रदान किए जिसकी सहायता से मैं भोजन कर पाता हूं अपनी सुरक्षा कर पाता हूं किसी चीज को लिखने में सामर्थ हूं किसी भी कार्य को आसानी से कर सकता हूं आपको बारंबार नमस्कार आपको बारंबार नमस्कार बारंबार नमस्कार आंखों में ज्योति प्रदान करने वाले निराकार स्वरूप में पूजे जाने वाले महादेव आपने मुझे दो आंखें के साथ उसमें अपनी ज्योति दी ताकि आपके इस संसार को मैं अपनी आंखों से देख सकूं दो हे ज्ञान दायिनी परमेश्वरी माता सरस्वती आपने मुझे उच्च से उच्च कोटि का ज्ञान देकर पशु वत मनुष्य से वास्तविक मनुष्य बनाया आपके द्वारा बुद्धि में दी गई समझ बूझ की शक्ति से ही धन दौलत अर्जित कर पाता हूं आपके द्वारा दी गई समझ बूझ की शक्ती के कारण ही स्वयं के साथ के साथ अपने परिवार का पालन पोषण कर पाता हूं हे श्री हरि विष्णु के अंश अवतार धनवंतरी आपने मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए आरोग्य क्या ज्ञान दिया उसे रोग से मुक्त किया मुझ दीन हीन पर कृपा करो मैं आपको बारंबार नमस्कार करता हूं मुझे स्वास्थ्य और आरोग्य प्रदान करो मैं इसी वक्त आपसे स्वस्थ और आरोग्य प्राप्त कर रहा हूं आपको बारंबार धन्यवाद आपके चरण कोटि को नमस्कार हे माता आदिशक्ति आप मुझे रोग मुक्त करो । "*


*इस तरह का विचार अपने दिमाग में चिंतन करें ईश्वर को अपने स्वास्थ्य के लिए धन्यवाद दें फिर फिर उन पलों को याद करें जब आप पूर्ण स्वस्थ थे को महसूस करें जब आप पूर्ण स्वस्थ थे उन पलों के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें आप जितना ज्यादा कृतज्ञता देंगे उतनी ही तेजी से आप रोग मुक्त होते जाएंगे बशर्ते यह चीज आपके दिमाग से निकल जाना चाहिए कि मैं अभी बीमार हूं यह सब तो छोटे विचार हैं पर आपके विचार की शक्ति नहीं बेशक आपको लगता हो या ना लगता हो किंतु ऐसा नकारात्मक महसूस ही आपको बीमार बना कर रखती है आप जितना ज्यादा बोलेंगे यह उतना ही ज्यादा बढ़ता जाएगा इसे रोकने का एकमात्र उपाय है अपने स्वास्थ्य के लिए ईश्वर को धन्यवाद करें हम सौ परसेंट में से 10 परसेंट ही स्वस्थ हैं उसी 10 परसेंट के लिए हैं ईश्वर को गहराई से प्रेम पूर्वक धन्यवाद करें वहीं 10 परसेंट की कृतज्ञता आपको सौ परसेंट का स्वास्थ्य देता है।*


– Rahul Jha

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