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शनिवार, 20 मई 2023

मेरे गोबिंद मेरे नट नागर

मेरे गोविंद मेरे नटनागर मेरा श्याम मेरे गिरधरनागर अब रहा न जाएं सुनो प्यारे हृदय की बात समझो दुलारे तेरा नित प्रेम रस लग गया मुझको अब कुछ न भाता तेरे सिवाय मुझको प्यारे न जीना न मरना आता मुझको दुलारे तेरे सिवाय कौन समझे मुझको तू घट घट बसा अन्तर्यामी सब के हृदय में बस तू ही समाई न बंधन न मुक्ति अब मिल गई चाकरी तेरी तू एक दिन आएगा आस में बैठा हूं स्वामी जैसे तूने दिया दर्शन मीरा माई को वैसे आकर दर्शन दो मेरे श्याम मुरारे जैसे तू मिला गोपी और राधा माई को जैसे तू छाती से लगाया बाल सखाई को वैसे तू हृदय से लगा अपने दास सखाइ को जैसे तूने खेला खेलाया ब्रज में बाल सखाईं को प्रभु वैसे अपना पैर दबाने दो प्रभु वैसे साथ खेलने दो प्रभु मैं न जानू लीला तुम्हारी फिर भी आवाज देता हूं प्रभू मैं न जानू खेल तुम्हारी फिर भी खेलना चाहता हूं प्रभु समझ न आता तुझे पुकारू कैसे कभी पागल रोता कभी हसता जैसे कभी गाता कभी नाचता हो जैसे कभी कुछ बोलता कुछ भी बकता जैसे अब आजा साथ ले के मईया राधा को अब आजा साथ लेकर मैया दुर्गा को अब रहा न जाई तेरे बिना मुझको अब सहा न जाए ये विरह मुझको अब दास राहुल पुकारे तुझको मैया मेरी राधे मैया तेरे सिवाय कौन मुझको स्वीकारे जग ठुकराई तू ने अपनाई हाथ पकड़ तू चलना सिखाई मैया मेरी दुर्गा माता तूने संकटों से मुझको बचाई तेरा दुलार याद आए मुझको कभी न माता भूलूं तुझको पता नही तुझ से लगी प्रीत मुझको कैसे पता नही तुझ से लगी रीत ये मुझको कैसे पता नही तुझ से इतना प्रेम हुवा मुझको कैसे पता नही अब होगा क्या बस तू ही जाने मुझको जैसे – श्रीरामभक्त रा.झा वत्स

नाम जप किस प्रकार होना चाहिए ।

प्रश्न . नाम किस प्रकार जप होना चाहिए ? जिससे हमे लाभ हो ? उत्तर:– सबसे पहले नाम जप जैसे भी हो लाभ होता ही है ... फिर भी आप जानने के इक्ष...