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बुधवार, 12 अप्रैल 2023

जब मैं स्तुति करता हूं।

जब मैं श्री हरि विष्णु की स्तुति करता हूं तब उन्हें ही समस्त जगत को अपने एक अंश में धारण किए हुए हैं उन्ही को कारण मानता हु। जब मैं शिव की स्तुति करता हूं तब शिव को समस्त जगत को अपने एक अंश में धारण कर स्थित किए हुए हैं उन्ही को कारण मानता हूं । जब मैं भगवती मूल प्राकृतिक माता आदिशक्ति जगदम्बा महालक्ष्मी राधिका की स्तुति करता हूं तब उन्हें ही जगत का कारण मानता हूं अर्थात ये माताएं समस्त जगत को एक अंश में धारण कर स्थित हैं । जब मैं गुरुजनों की स्तुति करता हूं तब उन्ही को ब्रम्हा विष्णु महेश समस्त देव और पर ब्रह्म उन्ही को मानता हूं बशर्ते गुरु जन शिव भक्त हरि भक्त या अध्यशक्ति भक्त होना चाहिए। (गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः | गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||) कोई भी सच्चा संत द्वारा लिखित प्रभु के किसी रूप का स्तुति देखो तो ऐसे परमतत्व की पहचान करते हुए उनकी स्तुति गाते हैं । समस्त पुराणों में भी देवता लोग ऐसे ही स्तुति करते हैं । – श्रीरामभक्त राहुल झा

नाम जप किस प्रकार होना चाहिए ।

प्रश्न . नाम किस प्रकार जप होना चाहिए ? जिससे हमे लाभ हो ? उत्तर:– सबसे पहले नाम जप जैसे भी हो लाभ होता ही है ... फिर भी आप जानने के इक्ष...