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सोमवार, 21 अगस्त 2023

नाम जप किस प्रकार होना चाहिए ।

प्रश्न . नाम किस प्रकार जप होना चाहिए ? जिससे हमे लाभ हो ? उत्तर:– सबसे पहले नाम जप जैसे भी हो लाभ होता ही है ... फिर भी आप जानने के इक्षुक है तो नाम जप से पहले गंगाजल का सेवन कर "ॐ श्री गणेशाय नमः" तीन बार हृदय से पढ़े ... राम कृष्ण जी का अपने प्रिय विग्रह को स्मरण करे या सामने रखे ... ध्यान से उन्हे प्रेम पूर्वक देखे उन्हे प्रेम पूर्वक प्रणाम करे .. स्त्रि हैं तो केवल झुक कर प्रणाम करे और पुरुष है तो श्रद्धा पूर्वक दंडवत कर प्रणाम करें । उसके बाद हमे ये स्मरण करना चाहिए.. :– भगवान का नाम जपते समय केवल नाम पर ध्यान होना चाहिए । राम और कृष्ण नाम साक्षात् सत चित आनंद स्वरुप है राम कृष्ण नाम आनन्द का गहरा महासागर है राम कृष्ण नाम अमृत स्वरुप है राम कृष्ण नाम निर्विकार निर्विकल्प स्वरूप है राम कृष्ण का नाम सारे जड़ता रूपी माया से पार ले जाने वाला है राम कृष्ण नाम सारे भ्रामित ज्ञान और भ्रम से रक्षा करने वाला है राम कृष्ण का नाम सारे भ्रमवादी व्यक्ति से रक्षा और सारे भ्रम से दूर ले जाने वाला है राम कृष्ण नाम सभी भय का नाश करने वाला है राम कृष्ण का नाम सर्पों के विष और किसी भी विष को अमृत रूप में बदलने वाला है। राम कृष्ण का नाम बुरे परिस्थितियो को अच्छे परिस्थितियों में बदलने वाला है राम कृष्ण का नाम सारे तामसी और नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने वाला है । राम कृष्ण का नाम हृदय में धारण होने के बाद हमारे उपर आदी गुरू सदाशिव और वासुदेव श्री कृष्ण की बुद्धि रूपा भगवती माता दुर्गा की कृपा से कोई भी तामसी तंत्र मारण मोहन उच्चाटन और डायन द्वारा प्रहार किया गया नकारात्मक शक्ति को सकारात्मक शक्ति तथा अमर स्वरूप में बदलने वाला है । राम कृष्ण नाम विजय स्वरूप है राम कृष्ण का नाम प्रेमी भक्तो का प्राण स्वरूप है राम कृष्ण का नाम प्रेमी भक्तो का सांस स्वरूप है राम कृष्ण नाम कैवल्य मुक्ति भक्ति और साक्षात प्रेम स्वरूप है राम कृष्ण का नाम हम जितना ग्रहण करेंगे उतने ही हमारा प्रेम राम कृष्ण के चरणो में बढ़ता जाता है । राम कृष्ण के नाम में अन्नत शक्ति है राम कृष्ण नाम में अनेकों दिव्य गुण है राम कृष्ण नाम में अनेकों दिव्य शक्ति है राम कृष्ण नाम मन को निर्मल बनाने वाली गंगा स्वरूप है। राम कृष्ण का नाम सारे पाप, ताप ,अहंकार, लोभ और मद का नाश करने वाला है राम कृष्ण नाम में अन्नत गुण और स्वभाव है जिसका अंत हम करोड़ो जन्म लेकर भी नही ढूंढ सकते हैं । हम राम कृष्ण के बुद्धि को जितना आंकनेंं चलेंगे वो उतनी बड़ी होती जाएगी ... राम कृष्ण के अनेकों रूपो का आदि या अंत हम जितना नापने का प्रयास करेगें वो उतनी बड़ी होती जाएगी किंतु उससे पार नही पा सकते .. राम कृष्ण नाम का जप करते समय कई बार साधक का ध्यान कही और भटक जाता है । किंतु इस स्थिती में साधक को घबराने नही चाहिए क्योंकि नाम जप करते हैं तो कही न कही भगवान के नाम का ही चिंतन हो रहा है । नाम में पूरा ध्यान लगाने के लिए कृतज्ञ भाव से नाम जपना चाहिए । जैसे एक एक नाम राम और कृष्ण की शक्ति माता सीता और माता राधा हमे पुरस्कार के रूप में दे रही है ये भाव के साथ नाम जप होने पर हमारा पूरा ध्यान नाम में लग सकता है । ... नाम जप धीरे ही हो पर ऐसे भाव से हो जैसे भगवान स्वयं हमारे मन बुध्दि हृदय और मुख में वाणी रूप में दे रहे है अर्थात जप करवा रहे हैं राम कृष्ण अपनी शक्ति से हमे नाम जप की प्रेरणा दे रहे हैं और हम उस नाम को अपने जीभ रूप से बोल बोल कर ग्रहण कर रहे है। हम अपने हृदय में राम कृष्ण के नाम को कीमती धन के रूप में संभाल के रख रहे हैं .. वो हमे एक एक नाम जप करा कर मुझ बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं और ऐसा एहसान कर रहे हैं जिसका चुकता हम से कभी नही हो सकता ...... हम श्रीराम और श्रीकृष्ण के प्रति और उनकी शक्ति( माता श्रीसीता और माता श्रीराधा ) के ऋणी हैं । जो हमे अपना नाम हृदय मन बुध्दि और जीभा के द्वारा दे रहे हैं अर्थात् जपवा रहे हैं और हम श्रद्धा पूर्वक एहसानमंद पूर्वक प्रेम पूर्वक श्री राम श्री कृष्ण जी की कृपा से उनका नाम स्मरण करते हुए ले रहे हैं। इसमें भी यदि नाम में ध्यान न केंद्रित हो तो कुछ देर उस उस पारमार्थिक प्रभाव को याद करें ...जहां आपको नाम जप से आप पर लाभ हुवा और आप पर क्या क्या प्रभाव पड़ा था आप में नाम जप से क्या क्या अच्छे परिवर्तन हुए हैं ऐसे पलो को याद करे... फिर हृदय से प्रेम पूर्वक कृतज्ञ भाव पूर्वक दीनता पूर्वक कहे प्यारे राम और कृष्ण हम आपके ऋणी हैं प्यारे राम और कृष्ण हम आपके प्रेम के भिखारी आपके एहसान को कभी नही भूल सकते आपने जो मुझे दिया है उसका चुकता मुझ से कभी नही हो सकता है। प्यारे राम और कृष्ण हम आपके चरणो मे बार बार धन्यवाद रखते है। प्यारे राम और कृष्ण आपको हर ओर से हर दिशा से हर रूप में आपको नमस्कार है। हम आपके सुंदर चरणो में अपना सर रख कर प्रणाम करते हैं प्यारे राम आप ही हम दीन दुखियों के सहारा हैं । प्यारे राम और कृष्ण आप ही मेरे अज्ञान का नाश करते हैं प्यारे राम और कृष्ण आप मेरे सारे दुर्गुणों का नाश करते हैं प्यारे श्रीराम और श्रीकृष्ण आप हमे किसी के सारे भ्रम और भ्रमित करने वाले व्यक्ति से रक्षा करते हैं प्यारे श्रीराम और श्रीकृष्ण माता सीता और माता राधा हम आपके चरणो में कोटि कोटि धन्यवाद रखते हैं मेरी प्यारी मैया राधा और मेरी प्यारी मैया सीता आपके चरणो में हम बार बार धन्यवाद और नमस्कार करते हैं जो आपने मुझे पारमार्थिक पथ पर लगा मुझ पर कृपा की है । मेरी प्यारी मैया दुर्गे मेरी प्यारी मैया श्री राधे मेरी प्यारी मैया सीता हम आपके चरणो में लेट कर आपको दंडवत प्रणाम करते हैं ( भाव में दंडवत प्रणाम स्त्रियों माता बहनों को नही करना चाहिए अपितु माता और बहिनों को केवल झुक कर कृतज्ञता पूर्वक प्रणाम करना चाहिए) प्यारी मैया हमे तो आपकी स्तुति भी करने नही आती ये जो हम आपको नमस्कार और धन्यवाद कर पा रहे हैं वो भी आप ही की दी हुई सद्बुद्धि है । प्यारी मैया आपकी करुणामय हृदय में दया का अंत नही है । मैया नाम जप में जो मुझ से त्रुटि हो गई हो उसके लिए अपना संतान समझकर क्षमा करना । मुझे कुछ भी ज्ञान नहीं है हम तो आपके सहारे ही हैं ये जो प्रेम पूर्वक नाम जप हो रहा है वो आपकी ही दी हुई सद्बुद्धि से हो रहा है । मैया मेरे अज्ञानता का नाश कीजिए । मैया श्री राधे मैया श्री सीता जी मेरा प्रेम श्रीराम और श्रीकृष्ण तथा आपके चरणो में नित्य बढ़ता ही जाए ऐसी कृपा करो ... भगवान श्री कृष्ण की बुद्धि रूपा परमेश्वरी मां दुर्गे मेरा प्रेम राम कृष्ण और आपके चरणो मे बढ़ता ही जाए ऐसी कृपा करो । इसके बाद फिर आप अपने गुरु महराज द्वारा दिया गया नाम जप करें। शेष क्रमशः अनुभव के बाद – मां दुर्गा की दया और कृपा ..... 🙏❤️🌷हरि ॐ तत् सत् 🌷❤️🙏 यदि आपको इस अनुभव पर विश्वास हो तो ही इस अनुसार नाम जप करे आप पर कोई जोड़ जबरदस्ती नही है नही तो इस अनुभव को अनदेखा कर आप अपने अनुसार जैसे नाम जप कर रहे हैं करें .. यदि आपको इसमें किसी भी प्रकार की शंका दिखे तो अपने गुरु महराज को दिखा कर उनसे अनुमति लेकर आप इस अनुसार नाम जप कर सकते हैं बड़ा लाभ होगा ..... ये अपना एक अनुभव मात्र है ... आप भगवत भक्तों सिया राम रूप जानकर आपके चरणो में इस श्रीरामदास श्रीरामभक्त और श्रीराम सेवक का प्रणाम है। और आपके चरणो में सहज प्रेम अर्पण .. 🙏❤️🌷 – श्रीरामभक्त वत्स

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