आप सुख - दुःख, शांति - अशांति, धन दौलत पर ध्यान कैसे दे रहे हो*
आप आज ज़ो
कुछ हैं वो पिछले विचारो का परिणाम है - महत्मा बुद्ध किसी भी कर्म की शुरुआत एक
*विचार* से सुरु होती है आधुनिक विज्ञान के अनुसार हमारे दिमाग़ मे प्रत्येक दिन
अधिकतम 72000 विचार आते हैं दिमाग़ मे विचार आना तभी बंद होता है जब आप नींद की गोद
मे चले जाते हैं 72000 विचारो मे से हम कुछ ही विचारो पर ध्यान केंद्रित करते हैं
जिससे प्रेरित होकर दैनिक कार्य या कोई महत्वपूर्ण कार्य करते हैं.... आप भोजन करने
से पहले भोजन के बारे मे सोचते हैं, सुबह मे आप जब न्यूज़ पेपर पढ़ते हैं तब आप
समाचार को पढ़ने के साथ समाचार से संबंधित मानसिक चित्र देख रहे होते हैं आप सोने से
पहले सोने के बारे मे सोचते हैं आप कोई भी कार्य करने से अवश्य सोचते हैं। किसी से
बात करते हैं तब आप पहले सोचते हैं फिर बोलते हैं। जागृत अवस्था मे आपके दिमाग़ मे
हमेसा विचार चलता हैं आप हर पल हर क्षण नकरात्मक सोच रहे होते हैं या सकारात्मक सोच
रहे होते हैं आपके इक्षा अनुसार जीवन चल रहा है तों आप सुखी होते हैं यदि आपके
इक्षा के विरुद्ध जीवन चल रहा है तों दुखी होते हैं एक छोटा सा उदाहरण देकर समझाना
चाहूंगा एक व्यक्ति पैसा इसलिए कामाना चाहता है क्योंकि वो जीवन मे सुख शांति चाहता
है। अक्सर लोग अपने युवा अवस्था मे सोचते हैं
*"मैं असफल नहीं होना चाहता हूँ।"*
*मुझे जीवन मे धन का आभाव न हो*
*मैं जीवन मे दुःखी नहीं रहना चाहता हूँ*
*मैं निचे
दर्जे का नौकरी नहीं करना चाहता*
वो जब ऐसा सोचते हैं तभी फिसल जाते हैं, उन्हें
पता नहीं होता है वो अपनी ऊर्जा को बुरे भविष्य के रूप मे रूपत्रण कर रहे होते हैं
क्योंकि उनका ध्यान सिर्फ असफलता, आभाव और दुःख पर केंद्रित है। हमारा दिमाग अच्छे
बुरे मे भेद नहीं करता है इसलिए जिस विचार पर आपका ध्यान केंद्रित होता है आपकी
ऊर्जा उसी रूप मे रूपत्रण हो रही होती है, उनके अंदर शंका, असफलता का डर बैठा है
तभी वो असफल नहीं होना चाहते हैं। इसलिए वो जीवन अच्छी नौकरी करने के बाद भी सुखी
नहीं है धन दौलत होने के बाद भी उसका भोग नहीं कर पाते है खाने के लिए अच्छे
स्वादिस्ट भोजन तों है पर डॉक्टर ने परहेज से रहने को कहा है सोने के लिए सोफे तों
हैं पर डॉक्टर ने पतले बिस्तर पर सोने को कहा है सफलता का अर्थ हैं सफल जीवन पूर्ण
सुख शांति हमने अधिकतर लोगो को देखा हैं वो लाख पैसे कमा लेते हैं किन्तु वो अपने
जीवन कही न कही अशांति, बैचेनी, तनाव महसूस करते हैं। मैं ये नहीं कहता पैसा धन
दौलत बुरा हैं, धन दौलत एकमात्र अमीरी का हिस्सा हैं किन्तु वो अमीरी नहीं ज़ो सुख
शांति की अमीरी होती हैं। आपका ध्यान सिर्फ सफलता होना चाहिए उदाहरण देकर समझाता
हूँ
"*मैं जीवन मे भरपूर सफल होना चाहता हूँ* "
*मैं जीवन मे भरपूर धन दौलत और
उसका भोग चाहता हूँ*
*मैं उच्च पद वाली नौकरी करना चाहता हूँ।*
जब आप इन जैसे
वाक्यों का प्रयोग करते हैं तों आप सही रास्ते पर हैं। आप सिर्फ इन तीन वाक्यों को
सुबह शाम रात्रि को सोते समय कहे और अपने इन्द्रियों को महसूस कराये अर्थात आप
महसूस करें आपकी ऊर्जा अच्छे भविष्य के रूप मे रूपत्रण होने लगेगी और आप १०१%
सकारात्मक जीवन जियेंगे और एक सफल व्यक्ति के रूप मे देखे जायेंगे। अगर आप बीमार
हैं तों बीमारी पर ध्यान न दे बल्कि आप सिर्फ स्वस्थ होने पर ध्यान दे जिस दिन आप
स्वस्थ थे उन पलो को याद करें आप स्वयं के स्वस्थ होने का महसूस करें और कहे " मैं
पहले अच्छी स्वस्थ पा रहा हूँ परमत्मा को धन्यवाद और उनके चरणों मे हृदय से प्रणाम
करता हूँ आप दवा ले या न ले उससे कोई फर्क नहीं पड़ता आपके बीमारी की इलाज आपके
दिमाग़ मे हैं जब लगे दवा की अवश्यकता है आपको दवा पर ही पूर्ण विस्वास है तों आपको
दवा अवश्य लेना चाहिए। हमने कोरोना काल मे कई ऐसे पेसेंट को देखा है ज़ो करोना
संक्रमित हो चुके थे किंतु उन्हें पता नहीं था और वो स्वस्थ भी हो गए। अगर आप किसी
बात को लेकर चिंतित हैं तों आप सिर्फ समाधान पर ध्यान केंद्रित करें और कहे " मेरे
अनंत बुद्धिमता मेरे दिमाग की क्षमता के पास हर परेशानी का समाधान है वो हमें
समाधान का मार्ग दिखाए। जैसे आप किसी व्यक्ति से विचार विमर्श मांगते हैं वैसे अपने
अंतर आत्मा से समाधान की मांग करें ऐसा तब तक करें जब तक आपको समाधान न मिल जाए।
आपको परेशानी का समाधान किसी व्यक्ति के द्वारा मिल सकता है किसी बच्चो के द्वारा
मिल सकता है आप स्वयं समाधान की ओर खींचे चले जायेगे आपको पता भी नहीं चलेगा
क्योंकि वो परमत्मा सर्व व्याप्त है वो हर क्षण हमारी सहायता करने के लिए तैयार
बैठे हैं किन्तु हम स्वयं अपनी ऊर्जा को अनजाने मे संकट बना लेते हैं अगर आपके पास
धन नहीं है तों सिर्फ धन पर ध्यान केंद्रित करें और कहे मेरे पास आत्मिक खजाना है
मेरे पास दूसरे को देने के लिए दुसरो की सेवा के लिए स्वयं की सहायता के लिए धन
प्रवाह हो रहा है और ऐसा ५ मिनटों तक महसूस करें शंका न करें नहीं तों यही शंका
आपके राह मे और शंका को उतपन्न करेगा दैनिक जीवन मे ईश्वर से प्रार्थना को सामील
कीजिये प्रार्थना एक सकारात्मक प्रक्रिया है।
इंसान जैसा सोचता है वैसा बन जाता है
- श्री कृष्ण
सृस्टि मे सब कुछ पहले से निर्माण कर दिया गया है बस अवस्य्क्ता है
तों केवल मनुष्य के कल्पना मात्र की है - श्री मदभगवद महापुराण
आप जीवन को जितना
कठिन समझते हैं ये उतना ही आसान है जब आप अपनी ऊर्जा का उपयोग सही रूप से करना समझ
जायेंगे तब। मैं अपना एक अनुभव आप से साझा करना चाहूंगा। बचपन के ४ वर्ष की आयु मे
तंत्र मंन्त्र के शक्तियों और धोखे से भोजन मे विष मिलाकर अन्य लोगो द्वारा मुझे
खिलाया गया था अचानक तबियत बिगड गयी मेरी हालत सीरयस हो चुकी थी मेरे पिता जी को
सुचना गयी पर वो मजबूर थे उन्हें सुचना सुन कर दुःख भी हुआ किन्तु जब तक यज्ञ
समाप्त नहीं होता तब तक वापस नहीं लौट सकते थे वो धर्मयज्ञ (महायज्ञ ) मे गए हुए थे
उस यज्ञ के नियम अनुसार कुछ भी हो जाए साधक को उठना नहीं है चाहिए स्वयं के पुत्र
पत्नी माता पिता की मृत्यु ही क्यों न हो जाए। किसी डॉक्टर ने रेफर कर दिया तों
किसी डॉक्टर ने माँ को जवाब दे दिया अब ये जीवित नहीं रहेगा बहुत देर हो चुकी है
कोई भी डॉक्टर इस बच्चे बचाने मे सक्षम नहीं है मेरी माँ अब हार चुकी थी अब कोई
रास्ता नहीं बचा था अचानक उसने आँशु पोछते हुए अपने निराशा को ऐसा अटूट विस्वास मे
बदल लिया जैसे मुझ पर किसी विष का प्रभाव हुआ ही नहीं उसने मुझे घर लाकर सुला दिया
अब मेरी के माँ पास मुझे बचाने का एक ही उपाय था वो था प्रार्थना अब वो डॉक्टर की
बातो को दिमाग से बाहर निकाल कर पूरी विश्वास के साथ अपने इष्ट से प्रार्थना करने
लगी और उनका धन्यवाद करना सुरु कर दिया मानो ईश्वर ने मुझे बचा लिया। मैं वर्तमान
मे जीवित हूँ आगे भी रहूंगा उसने बार बार इस विचार के साथ प्रार्थना और धन्यवाद
रूपी भावना देकर अपने विश्वास की ऊर्जा क काफी बढ़ा लिया था उसने कल्पना करना सुरु
किया जब तक वो जीवित रहेगी तब तक वो मुझे पूर्ण स्वस्थ रूप मे मुझे देख पाएगी। उसने
ईश्वर से गहरी भावनाओ के साथ प्रार्थना करना सुरु किया. आज देखो मैं आपके सामने
हूँ। इस घटना से यही सिखने को मिलता है सुख शांति धन दौलत की कमी को कभी महसूस न
करें आपको इसमें से जिस चीज की अवस्य्क्ता है उस के लिए पहले ईश्वर को धन्यवाद
करें। मानो आपको इसी समय मिल गया हो आपने दिमाग को विश्वास दिलाए ज़ो हम वर्तमान मे
सोचते है वही हमारा भविष्य बनता है विचार वस्तु बन जाते है। परिणाम शीघ्र ही नहीं
मिलते ये धीरे धीरे पेड़ पौधे की भाँती बनते है और इसमें प्रत्येक दिन धन्यवाद
प्रार्थना और कृतज्ञता के खाद पानी देकर बड़ा आप ही करते हैं कर्म का फल मिलता अवश्य
है। आप सोचते है तों कर्म कर रहे होते हैं आप सोते हैं तों कर्म कर रहे हैं जैसे
रात को सोने का फल उत्साह स्वस्थ और नई ऊर्जा के रूप मे मिलता है वैसे ही हमारे
सोचने का फल भिन्न भिन्न रूपों मे मिलता है *अगर आप अस्वस्थ है तों दूसरे के स्वस्थ
को देख कर उसके स्वस्थ के लिए धन्यवाद करें* *अगर आप निर्धन हैं तों धन दौलत वाले
धनी व्यक्ति के लिए ईश्वर को धन्यवाद करें* *अगर आप निःसंतान है तों दूसरे के संतान
को देखकर ईश्वर को धन्यवाद करें* *आप ज़ो भी पाना चाहते है उसके लिए ईश्वर को
धन्यवाद करें आज भले ही आपके पास न हो जिनके पास है उस व्यक्ति के लिए धन्यवाद करें
क्योंकि ईश्वर ने आपको आपकी चाही गयी वस्तु के सामान वस्तु अन्य लोगो के पास दिखाया
है और बहुत जल्द आपको भी मिलेगी सिर्फ धन्यवाद ही नहीं सच्चे भवाना के साथ ध्यान को
केंद्रित करने के साथ धन्यवाद करें*
*आपको किसी शिकायत से स्वयं को दूर करना है*
क्योंकि आपकी ऊर्जा आपकी कमी को निर्माण करता है जैसे - मेरे पास फ़लाने चीज नहीं है
उसके पास है मैं ये नहीं कर सकता या वो मुझे करने नहीं देंगे दुःख देने वाले इन
जैसे भावना से उतपन्न अपने भीतर ईर्ष्या द्वेष राग मोह आदि से मुक्त हो सकते है
किन्तु आपको दूसरे के लिए धन्यवाद करना पड़ेगा दूसरे के लिए हमेसा प्रार्थना करना
पड़ेगा जब आप दुसरो के लिए प्रार्थना करते तों ये हमेसा ध्यान रखे वही प्रार्थना
आपकी ओर दुगुना रूप मे आशीर्वाद बनकर लौटता है
हर क्रिया की समान या विपरीत प्रतिक्रिया होती है - न्यूटन आप हमेसा आसाहयो की
सहायता करें ज़ो सहायता के योग्य हो, वही निःस्वार्थ भाव से किया गया सहायता आपको
दुगुनी रूप से किसी न किसी रूप मे आशीर्वाद बनकर आती है बड़ा हुआ तों क्या हुआ जैसे
पेड़ खजूर पंछी को छाया नहीं फल लागे अतिदूर - कबीर दास जिस प्रकार एक किसान अपने
फ़सल तैयार होने तक धर्य रखता है उसी प्रकार आप भी अपने जीवन मे धर्य रखे धर्य खोना
अर्थात अपने आप को फिर से दुःख मे धकेलना।
- राहुल झा🚩