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रविवार, 2 अक्तूबर 2022

जो स्वयं को कट्टर हिन्दू समझता है सिर्फ वही पढ़े अन्यथा आगे बढ़े।

 



महादेव 

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. 🙏🕉️🌷श्रीहरि 🌷🕉️🙏

. 🙏🚩हर हर महादेव 🚩🙏

. 🙏🏹⚔️जय परशुराम 🏹⚔️




हे पार्थ तू जाग जा नपुसकता को त्याग दे. देख रण में तुझे दुर्योधन ललकार रहा, अगर तू युद्ध नहीं करेगा तो पूरी दुनिया के लोग तेरी आवादी पर हेसेंगे.


तू वही अर्जुन है जिसका सारथी श्री कृष्ण था तू वही अर्जुन है जिसने अकेले यवन को जीता था तू वही परशुराम है जिसने अकेले पूरी पृथ्वी को विधर्मियों से 21 वार विरक्त किया.तू वही महकाल है जिसने त्रिपुरासूर का वध किया था वही माता महाकाली है जिसने अकेले 7 अरब राक्षसों को जिन्दा चबा गयी थी.तू वही माता दुर्गा है जिसने अकेले ही यूरोप और पाताल से आए हुए महिषासूर को उसके 8 अरब सेना सहित क्षण भर में नाश कर दिया.तू वही काली दास है जिसने मुहम्मद को भस्म किया था, तू वही पोरस,चाणक्य और चन्द्रगुप्त है जिसने इसी कलयुग में बिखड़े हुए भारत को फिर से अखंड भारत का निर्माण किया.. तू गुरु गोविन्द और 40 सरदार है जिसने चंडी की तलवार से 10 लाख भेरियो को गाजर मूली की भांति काटा था तू वही छत्र पति शिवा जी महराज और पेशवा बाजीराव है जिसने एक ही झटके में भारत को आसुरी शक्तियों का नाश कर बचाया था. 


हे पार्थ क्यों डरते हो मरने से... तुम वैसे भी जन्म से पहले और मरने के बाद अमर ही हो धर्म युद्ध लड़ने का सौभाग्य हर युगो के लोगो को प्राप्त नहीं होता. तुम शरीर नहीं हो तुम प्रत्यक्ष ब्रम्ह के अंश अर्थात ब्रम्ह हो तुम जो चाहो अपने विश्वास के बदौलत पा सकते हो. तुम्हारे पिछले विचारों का परिणाम तुम्हारा शरीर रूप रंग परिवार समाज और संसार है जिसका कभी तुम भूल वश या जान बुझ कर चिंतन किए थे .. तू नहीं भी लड़ेगा तो तेरा स्वभाव युद्ध में लगा देगा.. क्योंकि ये सब विधर्मी महकाल के द्वारा पहले ही मारा जा चूका है तू नहीं भी चाहेगा तो भी तुझे निमित्त मात्र बनना ही होगा, इनकी आसामनी किताब देख इनका अंत तेरे ही हाथों लिखा है, तुझे ही बनना है इनके अल्लाह का कहर ।

तू प्रति दिन महकाली को ध्यान कर, तू प्रतिदिन महकाल का ध्यान कर, तू इस वक़्त विधर्मियों का नाश करने के लिए अमर लोक से आया है, तुझे कोई क्षलिया भेद नहीं सकता क्योंकि तू ही सतरंज का जन्म दाता है, ये पृथ्वी तो तेरे लिए ही बनी है असुरो का स्थान तो पताल है. तू निर्दोष पशु को मार कर उसका मांस मत खाया कर। तू तामसी भोजन त्याग दे। तू शराब का सेवन मत किया कर , तेरी बुद्धि नष्ट हो जाएगी जिससे तू पाप को प्राप्त होगा। 


ज़ो स्वयं को शिव से ऊँचा कहे ज़ो राम को मुहम्मद से तुलना करें, ज़ो सनातन धर्म का अपमान करें, उसका सर धर से अलग कर दे, आज तू सनातन धर्म की आत्म रक्षा के लिए यहाँ लड़ेगा, कल तेरा राम तेरे लिए सनातन मुक्ति का द्वार खोलेगा, तेरे सैकड़ो पितृ का उद्धार हो जायेगा। आज तू अपने देश के लिए लड़ेगा, आने वाली पीढ़ियां तेरे वीरता की कथा सुन कर देश को विश्वगुरु और सोने की चिडया नहीं सोने का शेर बनाएगा .... तू युद्ध के लिए तैयार हो जा... अगर आज युद्ध नहीं लड़ेगा तो वैसे भी तू या तेरी पीढ़ी दुर्योधन का गुलाम बनेगा, लाखों द्रोपदी के कपड़े नोचे जायेंगे, तेरी पीढ़ियां तुझे कोसेगी..... जीवन के के हर क्षण मेरा स्मरण कर मुझ में मन स्थिर कर, तू बिजली की भांति मेरी भक्ति और शक्ति अपने भीतर प्रवाह होने दे.. मै स्वयं तेरे भीतर अन्तर्यामी रूप में स्थित हूँ, मै स्वयं तुम्हारे भीतर स्थित होकर ज्ञान दीप जला कर अज्ञानता रूपी अन्धकार को मिटा दूंगा. जिससे तू मुझ सनातन ईश्वर को ही प्राप्त होगा फिर तेरा पुनर्जन्म नहीं होगा। यदि तू अपने मन को मुझ में स्थित नहीं करेगा.. तो फिर मेरी भक्ति और शक्ति तेरे भीतर प्रवाह नहीं होगी... यदि युद्ध के के क्षण मेरी भक्ति और शक्ति तेरे भीतर प्रवाह नहीं होगी तो तू कलयुगी रूपी दुर्योधन को जितने में असमर्थ हो जायेगा. तू हर क्षण मेरा ध्यान कर, मेरा नाम जपा कर.. तू प्रहलाद की तरह मुझे सर्वयाप्त हर स्थान को मेरे भीतर है ऐसा विश्वास कर 


मै ही जल अग्नि पृथ्वी वायु और अनंत ब्रह्माण्ड रूप में स्थित हूँ.

मै जितने वालों का विजय हूँ, मै तेजस्वी का तेज और शक्तिशाली पुरुषो की शक्ति हूँ, मै धर्मों में सनातन और मनुष्यो में तू स्वयं सनातनी हिन्दू हूँ। मै बलशालियो का बल और बुद्धिमानो की बुद्धि, शाशन करने में नितिवान शाशक प्रभु श्री राम हूँ मै पंच तत्व हूँ और ज्ञानी विज्ञानी पुरुषो का ज्ञान हूँ, मै विद्यायो में अध्यात्म विद्या हूँ, मै ही पृथ्वी पर लुप्त हुए ज्ञान को फिर से स्थापित करने वाला गौतम बुद्ध, गुरुनाक और महावीर हूँ,पृथ्वी पर अपने प्रिय पुत्र ईसा मसीह को मै ने ही ज्ञान दीप जलाने के लिए भेजा था.मै क्षल करने वालों में जुवा और मित्रता निभाने में सुदामा का विश्वासी मित्र द्वारिकाधीश श्री कृष्ण हूँ. मै स्वयं तुम्हारे साथ हूँ, पूरी दुनिया की सत्ता देख, अपने राष्ट्र की शान देख. तू 2014 के बाद अपने देश का भाग्य देख, काशी विश्वनाथ अयोध्याधाम देख, कश्मीर में तू अपनी ललकार देख, अफगानिस्तान और पाकिस्तान का हाल देख.., श्री लंका को फिर से जलता देख अयोध्या को फिर सबरता देख....


हे पार्थ जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है मै तब तब हर युग के एक ही समय में अपने कई रूप को रचता हूँ और धर्म की स्थपना करता हूँ साधु पुरुषो की रक्षा करता हूँ अधर्म का नाश करता हूँ.. दुष्टो का संहार करता हूँ पंडित जनो को धर्म कार्य के लिए नियुक्त करता हूँ। 


सम्पूर्ण गोपनीयों से अति गोपनीय मेरे परम रहस्ययुक्त्त वचन को तू फिर भी सुन । तू मेरा अतिशय प्रिय हैं, इससे यह परम हित कारक वचन मैं तुमसे कहूँगा.हे अर्जुन ! तू मुझ में मन वाला हो, मेरा भक्त्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो और मुझको प्रणाम कर । ऐसा करने से तू मुझे ही प्राप्त होगा, यह मैं तुझ से सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ ; क्योंकि तू मेरा अत्यन्त प्रिय है.सम्पूर्ण धर्मों को अर्थात् सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझ में त्याग कर तू केवल एक मुझ सर्व शक्त्तिमान् सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण में आ जा । मैं तुझे सम्पूर्ण पापों से मुक्त्त कर दूंगा, तू शोक मत कर ।तुझे यह गीता रूप रहस्य मय उपदेश किसी भी काल में न तो तप रहित मनुष्य से कहना चाहिये, न भक्त्ति रहित से और न बिना सुनने की इच्छा वाले से ही कहना चाहिये ; तथा जो मुझ में दोष दृष्टि रखता है, उससे तो कभी भी नहीं कहना चाहिये.


जो पुरुष मुझ में परम प्रेम करके इस परम रहस्य युक्त्त गीता शास्त्र को मेरे भक्त्तों में कहेगा, वह मुझको ही प्राप्त होगा —– इसमे कोई संदेह नहीं.


उससे बढ़ कर मेरा प्रिय कार्य करने वाला मनुष्यों में कोई भी नहीं है ; तथा पृथ्वी भर में उससे बढ़ कर मेरा प्रिय दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं.


जो पुरुष इस धर्ममय हम दोनों के संवाद रूप गीता शास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञान यज्ञ से पूजित होऊँगा


हे पार्थ ! क्या इस ( गीता शास्त्र ) को तूने एकाग्रचित से श्रवण किया ? और हे धनंजय ! क्या तेरा अज्ञान जनित मोह नष्ट हो गया.

काशी बम बम बोल रहा है

अयोध्या जय श्री राम दहाड़ रहा है 

- श्री कृष्णा


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प्रश्न . नाम किस प्रकार जप होना चाहिए ? जिससे हमे लाभ हो ? उत्तर:– सबसे पहले नाम जप जैसे भी हो लाभ होता ही है ... फिर भी आप जानने के इक्ष...