कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

सिंध इतिहास (489 ई० से 632 ई०)

सिंध पाकिस्तान ( भारत) Sindh

 489 ईस्वी से 632 ईस्वी तक सिंध पर नास्तिक साम्राज्य का शासन था .... गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद यहां नास्तिको ने कब्जा कर लिया था ।। 


लेकिन हिन्दुओ की भी बड़ी जनसंख्या सिंध में होने उनकी की भी सत्ता में पूर्ण भागीदारी थी ... राजा अगर नास्तिक था, तो उसका सेनापति ब्राह्मण था ।। जिसका नाम था चच 


632 ईस्वी में इस क्षेत्र के आसपास जब इस्लाम का प्रभाव बढ़ा, उसी समय वहां के ब्राह्मण सेनापति चच ने तख्ता पलट दिया, और सिंध में 143 वर्ष बाद पुनः हिन्दुओ का साम्राज्य स्थापित हो गया .....


हिन्दुओ के सत्ता में आते ही इस क्षेत्र को हड़पने के लिए इस्लामिक शक्तियों और हिन्दुओ में संघर्ष शुरू हो गया, और खलीफाओं के एक के बाद एक आक्रमण सिंध में होने लगे ....


80 वर्ष तक यहां हिन्दुओ का शासन रहा, लेकिन इन 80 वर्ष में , सिंध के बड़े बड़े क्षेत्र, सिंध से अलग हो गए, जैसे बलूचिस्तान , आज जो बलूचिस्तान पाकिस्तान की मार खा रहा है, यह खुद ही कभी हिन्दुओ से लड़कर अलग हुआ था । इन्हें भी पहले G'हाद का कीड़ा बहुत  बुरी तरीके से काटा था ।।


चच का बेटा था दाहिर ।। 712 ईस्वी में जब राजा दाहिर सत्ता में था, तब पूरे सेंट्रल एशिया ओर अरब के मुसलमानो ने राजा दाहिर पर आक्रमण कर दिया ।। सिंध की पूरी जनसंख्या से अधिक, मुहम्मद बिन कासिम के सैनिक थे ।। उल्टे उसे सिंध में भी बहुत सैनिक मिल गए, जो चच साम्राज्य और दाहिर से नाराज थे ।। जब अंदर ओर बाहर के शत्रू एक हो जाएं, तो क्या वह राज्य फिर बचेगा ?? 



सिंध 712 ईस्वी में ही हिन्दुओ के हाथ से निकल गया था , जो आजतक वापस नही आ पाया है ।। 


चित्रों के माध्यम से हमारे साथ आप भी सिंध देख लीजिए

 

























नाम जप किस प्रकार होना चाहिए ।

प्रश्न . नाम किस प्रकार जप होना चाहिए ? जिससे हमे लाभ हो ? उत्तर:– सबसे पहले नाम जप जैसे भी हो लाभ होता ही है ... फिर भी आप जानने के इक्ष...