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शनिवार, 7 मई 2022

सज्जन मनुष्य को दुष्टों के साथ कैसा व्यहार करना चाहिए

🌷श्री हरि 🌷 ❤*आचार्य चाणक्य ज्ञान*❤ *अ० ७(7) श्लोक ८(8)* हस्ती अंकुशहस्तेन वाजी हस्तेन शृंगी लगुडहस्तेन खड्गहस्तेन ताड्यते । दुर्जनः || ८ || *भवार्थ* हाथी को चलाने के लिए अंकुश , घोड़े के लिए हाथ में एक चाबुक , सींग वाले बैल आदि पशु के लिए डण्डे की आवश्यकता होती है , परन्तु दृष्ट व्यक्ति सरलता से वश में नहीं आता । वह मामूली ताड़ना से भी वश में नहीं आता । उसके लिए तो हाथ में तलवार लेनी पड़ती है । चाणक्य कहते हैं कि उसे सीधे रास्ते पर लाने के लिए कभी - कभी उसकी हत्या भी कर देनी पड़ती है । यह सब कहने का अभिप्राय यह है कि दुष्ट व्यक्ति में जो बुरी आदते और स्वभाव पड़ गए हैं , उन्हें सरलता से दूर नहीं किया जा सकता । उन्हें सुधारना बहुत टेढ़ी खीर है । *अ० ७ (7)श्लोक ९(9)* तुष्यन्ति साधवः भोजने विप्रा मयूरा : परसम्पत्ती खला : घनगर्जिते । रविपत्तिषु ।। ९ ।। *भवार्थ* ब्राह्मण केवल भोजन से तृप्त हो जाते हैं और मोर बादल के गर्जने भर से सन्तुष्ट हो जाता है , संत और सज्जन व्यक्ति दूसरे की समृद्धि देखकर प्रसन्न होते हैं , परन्तु दुष्ट व्यक्ति को तो प्रसन्नता तभी होती है , जब वे किसी दूसरे को संकट में पड़ा हुआ देखते हैं । दुष्ट ब्राह्मण अपने यजमान की समृद्धि की कामना करता है । उसके बदले में केवल उसे सामान्य भोजन की इच्छा रहती है । आकाश में मेघों के घिर आने पर मयूर प्रसन्न होकर नाचने लगता है । संत लोग किसी से किसी प्रकार की अभिलाषा न करते हुए सबके लिए सुख - समृद्धि की कामना करते हैं । उसके विपरीत व्यक्ति दूसरों को संकट में पड़ा हुआ देखकर ही प्रसन्न होते हैं । अ०७(7) श्लोक १०(10) अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम् । आत्मतुल्यबलं शत्रु विनयेन बलेन वा ।। १० ।। *भवार्थ* यदि शत्रु अपने से बलवान् प्रतीत होता हो तो उसे विनयपूर्वक व्यवहार करके वश में करना चाहिए । यदि दष्ट व्यक्ति से सामना पड़े तो उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा वह स्वयं दूसरों से करता है - अर्थात् बुरे के प्रति बुरा व्यवहार उचित है । यदि उससे विनय - प्रदर्शन किया जायेगा तो उसकी उद्दण्डता और बढ़ जायेगी । वह सज्जनता को दबलता समझने लगेगा । - चाणक्य नीति ये पवित्र ज्ञान दुष्ट भावना से पीड़ित मुनष्य को कभी नही देना चाहिए । इतिहास साक्षी है मौर्य साम्राज्य के बाद जिस जिस भारतीय राजा या सम्राट दुष्टों को उसकेे भाषा के में व्यहार न करने के कारण पराजित या वीरगति को प्राप्त हुए । यहां विदेशी सम्राट का उदाहरण देता हूँ आज के मंगोलिया क्षेत्र में ..महाकाल और गोरखनाथ पन्थ का मिश्रित पन्थ को मनाने बौद्ध चंगेज खान ,हलगु खान,कुबलाई खान जैसे योद्धा ऐसे ही सिद्धान्तों अनुशरण कर पूरी दुनिया मे लगभग मुस्लिम को समाप्त कर दिए थे किन्तु उसमे एक दोष था उसने मुस्लिम महिलाओं को सही मार्ग दिखाने के बजाए उसका उपभोग कर लाखो में मुस्लिम की जनसख्या बढ़ा दिए जनसख्या बढ़ाया किन्तु उन्हीने कभी उस बच्चे को परवरिस का ख्याल नही किया जिसके कारण बचे खुचे इस्लामिक धूर्तो द्वारा मोहित कर धर्म परिवर्तन कर लिए गए ..हमारे देश मे महिलाओं को सूपनखा और माता सीता के रूप में देखा जाता है । जो सूपनखा स्वभाव की है उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए दूसरा क्षत्रपति शिवा जी महाराज पर दृष्टि डाले हारे हुए बादशाह की बेगम को लूट कर लाया गया तो उन्होंने बेगम को माता कह कर सम्बोधित किया उसे सुरक्षा के साथ हारे हुए बादशाह के पास भिजवा दिया फिर उस बेगम को लुटने वाले भोले पुरुष को डांटा ... हमे उनकी गुणों अपने अंदर उतारनी है । श्री कृष्णा ने नरकाशुर का वध किया उसके बाद नरका सुर की सभी 18000 रानियां अपने इक्षा से श्री कृष्ण की शरण मांग कर रही थी क्योकि वो सभी रानियां राम ,कृष्ण भक्त थी उसने नरकासुर से रक्षा के लिए प्रत्येक दिन श्री कृष्ण से प्रार्थना करती थी उन्होंने कभी किसी अशुरो की पत्नी पर बर्बरता नही की.. फिर चाहे 10 अवतार ही क्यो न हो । आप ऐसे गुण को अपनाएं तभी हमारे देश का भला हो पाएगा । 🙏👉Rahul Jha 🛕🐚🚩🔱⚜️⚔❤🌷🙏🏹🗡

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

सिंध इतिहास (489 ई० से 632 ई०)

सिंध पाकिस्तान ( भारत) Sindh

 489 ईस्वी से 632 ईस्वी तक सिंध पर नास्तिक साम्राज्य का शासन था .... गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद यहां नास्तिको ने कब्जा कर लिया था ।। 


लेकिन हिन्दुओ की भी बड़ी जनसंख्या सिंध में होने उनकी की भी सत्ता में पूर्ण भागीदारी थी ... राजा अगर नास्तिक था, तो उसका सेनापति ब्राह्मण था ।। जिसका नाम था चच 


632 ईस्वी में इस क्षेत्र के आसपास जब इस्लाम का प्रभाव बढ़ा, उसी समय वहां के ब्राह्मण सेनापति चच ने तख्ता पलट दिया, और सिंध में 143 वर्ष बाद पुनः हिन्दुओ का साम्राज्य स्थापित हो गया .....


हिन्दुओ के सत्ता में आते ही इस क्षेत्र को हड़पने के लिए इस्लामिक शक्तियों और हिन्दुओ में संघर्ष शुरू हो गया, और खलीफाओं के एक के बाद एक आक्रमण सिंध में होने लगे ....


80 वर्ष तक यहां हिन्दुओ का शासन रहा, लेकिन इन 80 वर्ष में , सिंध के बड़े बड़े क्षेत्र, सिंध से अलग हो गए, जैसे बलूचिस्तान , आज जो बलूचिस्तान पाकिस्तान की मार खा रहा है, यह खुद ही कभी हिन्दुओ से लड़कर अलग हुआ था । इन्हें भी पहले G'हाद का कीड़ा बहुत  बुरी तरीके से काटा था ।।


चच का बेटा था दाहिर ।। 712 ईस्वी में जब राजा दाहिर सत्ता में था, तब पूरे सेंट्रल एशिया ओर अरब के मुसलमानो ने राजा दाहिर पर आक्रमण कर दिया ।। सिंध की पूरी जनसंख्या से अधिक, मुहम्मद बिन कासिम के सैनिक थे ।। उल्टे उसे सिंध में भी बहुत सैनिक मिल गए, जो चच साम्राज्य और दाहिर से नाराज थे ।। जब अंदर ओर बाहर के शत्रू एक हो जाएं, तो क्या वह राज्य फिर बचेगा ?? 



सिंध 712 ईस्वी में ही हिन्दुओ के हाथ से निकल गया था , जो आजतक वापस नही आ पाया है ।। 


चित्रों के माध्यम से हमारे साथ आप भी सिंध देख लीजिए

 

























नाम जप किस प्रकार होना चाहिए ।

प्रश्न . नाम किस प्रकार जप होना चाहिए ? जिससे हमे लाभ हो ? उत्तर:– सबसे पहले नाम जप जैसे भी हो लाभ होता ही है ... फिर भी आप जानने के इक्ष...