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बुधवार, 9 अगस्त 2023

वशुदेव श्री कृष्ण

हे मेरे हृदय के प्यारे वासुदेव कृष्ण तू सब पे मेहर करने वाला तू सम्पूर्ण लोको का भरण पोषण करने वाला दाता दीनानाथ है । तू द्रोपदी माता की लाज बचाने वाला है तू कलियां पूतना कंश का साक्षात् काल है तू कौरवों का नाश है तू सम्पूर्ण लोको के दुष्टों का नाश करने वाला और अपने भक्तो की रक्षा करने वाला है तू आदि मध्य अंत से रहित है तू ही आदि मध्य अंत भी है तू सनातन धर्म की रक्षा करने वाला है तू साधु संतो की रक्षा करने वाला है तू वेद पुराण गुरुवाणी तथा संत वाणी की रक्षा करने वाला है तू शास्त्रों का जनक है स्वयं में लीन करने वाला है । हे मधुसूदन दामोदर मेरा मेरे पितामह माता पिता भाई बहन गुरु और भगवान मेरे प्यारे स्वामी तू मेरा और मेरे मन बुध्दि अहंकार आत्मा और इन्द्रियों का स्वामी है । तू गोपी मैया यशोदा मैया तथा इस अर्जुन प्यारा है । तू ब्रह्मण सुदामा के हृदय का टुकड़ा है। तू राधा माता की आत्मा है तू सम्पूर्ण लोको स्वामी है तू अन्नत स्वरूप वाला है तेरे उदर में अरबों लोक व्याप्त है तेरे मुख में अन्नत लोक व्याप्त है तू ब्रह्मानो का मुख क्षत्रिय का एस्वरिये है । तू ही वैश्य का व्यापार और शुद्रो की सेवा है । तू सभी कर्मो से निर्लिप्त है तू सूत्रात्मा है सर्वात्मा है तू संतो का हृदय है तू श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीमद्भगवतम मानस पुराण और वेद हैं। तू बुद्धिमानो की बुध्दि और बलवानो का बल है तू शक्तिशालियो की शक्ति और युद्ध में विजय है तू ब्रहाम्नो का तेज और उसके हाथ में परशु है । हे वासुदेव श्री कृष्ण तेरे सिवाय कुछ नही है । कुछ नही है कुछ नही है सब तू वासुदेव ही है । मैं तेरे शरण में आकर अन्नत जन्मों के लिए तेरी सेवा में अपने अर्पण कर दिया है तू जैसा चाहता है वैसा कर ...

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