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बुधवार, 9 अगस्त 2023

संत स्तुति

।। संत स्तुति ।। सबसे पहले हम माता सरस्वती और भगवान गणेश जी के चरणो मे प्रेम पूर्वक सिर स्पर्श कर स्वयं को समर्पित करते हुए उन्हें बार बार प्रणाम करते हैं जिनकी कृपा हृदय से मान कर संत स्तुति लिखने की कोशिश कर रहे हैं । हम अपने हृदय के भाव को सनातनी हिन्दू संतों के बीच रखना चाहते हैं वो जहां कही भी किसी भी लोक में होंगे। जहां जिस रूप में होंगे। जहां कही भी वो ज्ञान रूप में विचरण कर रहे हैं। जिन सज्जनों के बीच श्रीरामभक्त साधु, संतो, योगियों और महत्माओं की नित्य सत्य वाणियां का रसपान हो रहा है वहां से हम दीन मलिन बुद्धि , अल्पज्ञाणी अपने हृदय के भाव को आपके प्रति जो आस्था थी वो आपके चरणों में समर्पित कर रहे हैं । आप हमारे स्तुति को प्रेम पूर्वक स्वीकार करें। उसमे जो त्रुटि दिखे तो हम इस के लिए आप क्षमा कर हमारे दोषों को दूर करेंगे। हम साधु संतो के रक्षक प्रभु श्री राम और हम दीनो की माता जानकी के चरणों में प्रणाम करते हैं। हे विवेक धारण करने वाले रामदूत महावीर हनुमान , हे समाज को सुधारने वाले संत समाज हम आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करते हैं । हे करुणा निधान संत महराज हम आपके चरणों में सिर रख कर हृदय से प्रणाम करते हैं। हे दुखियों का दुःख हरने वाले संत महराज हम आपके चरणों की धूल मागंते हैं । हे राम के चरणो से जोड़ने वाले रामभक्त संत आपके दया का अंत किसी कीमत पर मुझ कपटी, अल्पज्ञानी, अल्प बुद्धि से नही लिखे जा सकते। आप ही आपने ज्ञान और बुद्धि से भक्तों में संतुष्टि और परम आनन्द प्रदान कराते हैं । हे भारत के संत समाज आप ही महात्मा बुद्ध रूप नस्तिको पर भी दया करके उसे "अपना दीपक स्वयं बणों" का उपदेश देते हैं आप रैदास ,नानक और कबीर रूप में अपने ज्ञान और प्रभाव से कलयुग के घोर अन्धकार में दया, क्षमा, करुणा, ज्ञान, भक्ति और प्रेम रूपी प्रकाश जलाते है । हे भारत के संत गुरु महराज आप ही गुरु तेग बहादुर , गुरु गोबिंद सिंह और बंदा सिंह वैरागी के रुप में सनातन धर्म और भारतीय समाज के लिए परिवार सहित अपना बलीदान देकर अपने मृतभूमि और यहां की सनातन संस्कृति की रक्षा करते हैं । हे संत समाज गोबिंद में आप और आपमें गोबिंद निवास करता है ऐसा जानकर और मानकर कर हम आपके चरणों की धूल की अपने सिर पर लगाना चाहते हैं । हे हठी दुष्टों का दमन करने वाले धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने वाले अवध, वीर साधु महराज हम आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करते हैं। आप ही दया दृष्टि से पीढ़ी दर पीढ़ी सत्य सनातन ज्ञान का आदान प्रदान होता है। हे साधु महराज मैं छोटी बुध्दि से आपके वैराग ,विवेक और सैयम का गुणगान करने में असमर्थ हूं। समाज को अपनी आत्मा मान कर उन्हे अपने विचारो से पवित्र करने वाले हे साधु महराज आपके ही तपो बल से पृथ्वी मैया गंगा मैया को पाकर पवित्र हुई । हे साधु महराज आपके ही तप से प्रसन्न होकर स्वयं आदि नारायण पृथ्वि पर आकर हम पापियों का पाप धोते हैं। हे साधु महराज आपके ही दया के पात्र श्री हरि जी को जान पाते हैं । हे साधु महराज आपके मुख से निकला एक अक्षर यदि चंडाल के कान में पड़ जाए तो वो भी मधुर वाणी का उत्तम वक्ता बन जाता है। हे साधु महराज आप स्वयं भूखे रहकर इस घोर कलियुग में अल्पज्ञानियो द्वारा तिरस्कृत होकर भी हमेशा हरि के जनो का कल्याण ही करते हैं । हे साधु महराज आपके ही तपो बल से आपके चिन्मय शरीर का सपर्श पाकर पापी मनुष्य पवित्र हो । जाते हैं । हे साधु महराज आपके चिन्मय शरीर से ही देवता लोग वज्र बनाके आशुरो का नाश करने में समर्थ होते हैं ...हे साधु महराज दुष्टों द्वारा इस घोर कलयुग में आपके शरीर की हत्या की जाती है फिर भी आप दया स्वभाव वश उन्हे क्षमा कर देते हैं पर एक बात है आप तो उन्हे परमात्मा अंश या प्रारब्ध कारण मान कर उन्हे क्षमा कर देते हैं । हे साधु महराज हम आपसे कुछ प्रश्न करते हैं यदि आपकी कृपा हो तो हमे अवश्य उत्तर देंगे । क्या कलयुग की अंधेरी रात हमेशा के लिए मिटना भगवान के वश की बात नही है ? कलयुग के संतान गोविन्द को गालियां बकते हैं। उन्हे तो कष्ट नही होता किंतु ये सब देखकर मुझ भक्त को आत्म हत्या करने को जी करता है ताकि इन आंखों से गोविंद का अपमान नही देखा जाता। क्या कलयुग में कन्या की रक्षा द्रोपदी मां की भांति गोविंद नही कर सकते। क्या कलयुग में गोविंद ने गौ माता से सम्बन्ध तोड़ लिया क्योंकि जब उसकी दुर्गति देखता हूं ऐसा लगता है किसी ने मेरी आत्मा को जूते से मसल दिया। क्या कलयुग को बनाना जरूरी था? कलयुग में ईश्वर को पुकारने पर वो आते क्यो नही है जब की वो सर्व्यापी अन्तर्यामी है वो जड़ चेतन रूप में है उसके सिवाय कुछ यहां वहां कुछ नही है। वो ही वासुदेव सर्वम, शिवमय, देवीमय एक अदृश्य कण से अनंत दृश्य अदृश्य जगत में व्याप्त हैं । कलयुग में भक्तों की दुर्गति होना अनिवार्य है ? कलयुग में जब गोविंद शिव और माता आदिशक्ति का अश्लील तरीके से अपमान होना था तब गोविंद मुझे ये सब देखने से पहले मृत्यु क्यो नही देता। जब भी ईश्वर से इन सवाल का उत्तर मांगता हूं तो अद्वैत ज्ञान कही न कहीं से आ जाता है किंतु साक्षात आकर उत्तर क्यो नही देता है ? यदि आपके पास उत्तर है तो जवाब दे नही तो गोविन्द गौ से अपना प्रेम हमेशा के लिए हटा लूंगा ताकि उसका अपमान भी हो तो मुझे घोर दुःख न हो । मुझे पता है आप उत्तर नही दोगे कहां आप ज्ञानी संत स्वभाव के पुरुष .... कहां मैं तुच्छ पापी अभागा जो अपने ईष्ट का अपमान देखने वाला और जानवरो से लड़ते लड़ते जानवर पुरुष बनने वाला । मुझे पता है आप उत्तर नही देंगे । क्योंकि आप जेसे संतो की शक्ति मुझ जैसे पापी की शब्दो को देखकर कही क्षिण जो हो जायेगा । हे दुष्टों का नाश करने वाले भगवान कल्कि महराज , हे दुष्टों का नाश करने भगवान परशुराम , हे दुष्टों का नाश करने वाले रामभक्त हनुमान , हे संघार करने वाले देवाधिदेव महाकाल अपना विराट मुख खोलो और या तो मुझे मिटा दे या तो कलि पुरुष को हमेशा के लिए मिटा दे। इस पृथ्वी पर या तो अपने भक्तो को रखो या तो कलयुग को रखो परंतु दोनों में से कोई एक को रखो । – श्रीरामभक्त राहुल झा वत्स 🙏🙏🙏 पर हम श्रीरामभक्त रा.झा वत्स उन्हें कभी क्षमा नही कर सकते। हमे क्षमा किजिएगा क्योंकी हे साधु महराज किसी को तो इन साधु हत्याओं को रोकने के लिए आगे आना होगा । जब जब साधुओं को खून से लत पथ देखता हूं तब मेरी आत्मा रो देती है इन हत्याओं के कारण हृदय में जो क्रोध की वेग उठती है उसे रोकने में असमर्थ हो जाता हूं । यदि ऐसे हत्यारे हाथ में आ जाएं तो शकाहारी होते हुए भी मांसाहारी बन जाऊ । वासुदेव सर्वम अनुभव करने वाले हे दुर्लभ महात्मा आप ही बताइए हम उन्हे परमात्मा के अंश कैसे माने जो गौ ब्रह्मण स्त्री निर्दोष साधुओं और निर्दोष पशु पक्षियों की निर्मम हत्या करते हैं ? हम उन्हे परमात्मा का अंश कैसे माने जो अभिमान के वशीभूत मेरे प्यारे गोबिंद को गालियां तक दे देते हैं क्या यही सब दिखाने हरि जी ने मुझे भेजा था। हे साधु महराज ये सब देखने से पहले मेरी मृत्यु क्यों नही हुई।

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