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बुधवार, 9 अगस्त 2023

मानस पूजा

*मानसिक पूजा* मन के मंदिर में बसाना हर किसी के वश की नही है खेलना पड़ता है जीवन के केरियर से जिंदगी और मौत से ... भक्ति इतनी भी सस्ती नही है न हम तुम्हें कभी देखे न हम दोनो कभी मिले फिर कौन सा अटूट सम्बन्ध है पीड़ा कैसी भी हो एकमात्र माता आदिशक्ति तुम्हारी याद आती है और तुझे अपने साथ छाया की भांति महसूस करता हूं। जिस प्रकार बिना रस के जल का कोई महत्व नहीं ,बीना तेज के अग्नि का कोई महत्व नहीं ,बिना वेग के वायु का कोई अस्तित्व नही , उसी प्रकार देख माता तेरी चरण भक्ति के बीना मेरा कोई अस्तित्व नही और यही सत्य प्रेम है । माता मुझ अज्ञानी को सब कुछ देना किंतु दिखावे करने की कला से वंचित रखना क्योंकि तू मेरे भीतर बाहर से ओत प्रोत है तू मेरे भीतर और बाहर दोनों स्थिती में है तुम से कुछ भी नही छुपा है । मेरे भीतर दुर्गुणों का नाश कर अपने सद्गुणों की सागर लहरा दो । क्योंकि तुच्छ सा दिखावे करने की राह में कही स्वयं वास्तविकता को न खो बैठू । तेरे अनेकों पुत्र हैं उन सबों में मै ही सबसे बड़ा महापापी और महाअज्ञानी हूं। किंतु तेरी दया से पतित पुत्र भी पवित्र हो जाते हैं । इसलिए संसार में कुपुत्र पैदा हो सकता है किंतु कही भी कु माता नही होती। माता तू अनादि है तू जन्म रहित है तू परब्रह्म है तू सूत्रात्मा है सम्पूर्ण जगत की शक्ति समुदाय को तू अपने एक अंश मात्र में धारण कर स्थित है । तेरी शक्ति के बीना प्रत्येक जीवआत्मा और परमात्मा भी शक्तिहीन हैं, बीना शक्ति के ब्रह्मा, विष्णु,महेश का भी कोई स्तित्व नही। कोई ब्रह्माहीन विष्णुहीन या शिवहीन हो तो चल सकता है किंतु शक्तिहीन हो कर कोई स्तित्व में नही आ सकता। तू ब्रम्हा विष्णु महेश के अभिमान का नाश करने वाली है मेरे अहंकार का भी भक्षण करो। मैं तेरा पुत्र हूं। तेरे बनाए पुतले रूपी शरीर को तुझे ही तेरी सेवा के लिए समर्पित करता हूं। मुझ में तेरी आत्मा तुझे समर्पित करता हूं। अब मुझ में जो कुछ बचा वो सब भी तेरे ही सेवा के लिए समर्पित करता हूं क्योंकि मै तेरा ही बनाया पुतला हूं। तेरा तुझे समर्पित करता हूं। तू देवताओं के भय का नाश करने वाली माता दुर्गा है। तू मुझे जैसे रखेगी वैसे रहूंगा। तू मुझे 84 लाख योनि में जहां रखना है रख दे । तू चाहे मुझे दंडित कर नर्क कुंड में ही डाल दे दरिद्र ही बना दे । किंतु जहां भी रखना तेरा ही नाम और तेरा ही चरण कमल मेरे हृदय में स्थित रहे। जहां भी रहु तेरी सेवा करता रहूं। जहां भी जाऊ तेरे नाम की स्मृति बनी रहे । तू मेरी स्वामिनी मै तेरा सेवक , तू मेरी माता मै तेरा पुत्तर, तू ही मेरा गुरु मैं तेरा शिष्या हूं। तुझ में मै और मुझ में तू, तेरी कृपा का कोई अंत नही । तूही सदा शिव और महाविष्णु है तू राधे का श्याम और सीता का राम है तू जगत की माता पिता है तू विश्वरूप है । हे माता जो दीन दुखीया साधु सन्त कष्ट में तुम्हे याद करते हैं मुझ से पहले उनके उपर दया कर दे। उन्हे आत्म स्वरुप का ज्ञान दो मोह पर विजय पाने की शक्ती दो उन्हे ज्ञान प्राप्ति का यश प्रदान करो और उनके काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो । हे माता जो असहाय भूख से पीड़ित बालक भक्ति पूर्वक तुम्हे कष्ट में याद करे तुम उन्हे मुझ से पहले भोजन प्रदान करों। हे माता जो असहाय वृद्धा पवित्र मन से तेरे चरणो मे मस्तक झुकाते हैं मुझ से पहले उन्हें आरोग्य और शक्ति प्रदान करो। हे माता जो घोर अत्याचार से पीड़ित स्त्री तेरे चरण में मस्तक झुकाती है मुझ से पहले उसे घोर रूपिणी दुष्टों और अत्याचारियों का नाश करने की शक्ति प्रदान कर अत्याचार से मुक्त कराओ। तू परमेश्वर और परमेश्वरी है तुम ही जगत में पुरुष और प्राकृतिक हो। तू ही अदृश्य और दृश्य हो। तेरी चरणो में अपना मस्तक झुका स्वयं को समर्पण करता हूं। मैं दोषी पुत्र हूं मुझे दंडित कर तू अपनी सेवा के लिए मुझे स्वीकार करो। 🙏❤️🌷🌺🌙

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